कौनसा म्यूचुअल फंड सही है या गलत इसका चुनाव कैसे करें, Mutual Funds sahi hai ya galat kaise jane
म्यूचुअल फंड सही हैं या नहीं कैसे चुनें

कौन सा म्यूचुअल फंड सही हैं या गलत इसके लिए आप म्यूचुअल फंड के कुछ पहलुओं पर गौर कर सकते हैं।
बीते कुछ सालों में म्युचुअल फंड ने निवेशकों को अपनी तरफ काफी हद तक आकर्षित किया हैं। म्युचुअल फंड में निवेश के लिए बहुत से विकल्प मौजूद है जो अलग अलग निवेशकों को ध्यान में रखते हुए एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) द्वारा तैयार किए जाते हैं। किसी निवेशक के लिए एसआईपी (Systematic Investment Plan) सही विकल्प हो सकता हैं तो किसी के लिए वन टाइम इन्वेस्टमेंट प्लान (Lumpsum Amount Investment Plan)। हालांकि एक निवेशक के तौर पर फंड से अच्छा रिटर्न मिलना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।

म्यूचुअल फंड सही है या गलत कैसे चुनें?

म्यूचुअल फंड में निवेश के बहुत से तरीके व स्कीम हैं। खासतौर पर म्यूचुअल फंड में रिटर्न व जोखिम एक दूसरे के समानुपाती होते हैं, अर्थात जहां रिटर्न अच्छा हैं वहां जोखिम भी ज्यादा ही होगा और जहां रिटर्न कम हैं वहां जोखिम भी कम ही होगा। इसलिए अपने जोखिम सहन करने की क्षमता के अनुसार म्युचुअल फंड का चुनाव कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ मुख्य तथ्य आपके लिए अच्छा म्यूचुअल फंड चुनने में सहायक हो सकते हैं।

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रिस्क सहन करने की क्षमता

म्यूचुअल फंड के माध्यम से अच्छा रिटर्न पाने के लिए रिस्क लेना जरूरी हैं। बिना रिस्क लिये अच्छा रिटर्न मिलना मुश्किल हैं।
आप कितना रिस्क लें सकते हैं इसके अनुसार म्यूचुअल फंड का चुनाव कर सकते हैं।
यदि आप कम रिस्क लेना चाहते हैं तो आप लार्ज कैप फंड में निवेश कर सकते हैं। वहीं थोड़ा अधिक रिस्क लेने के इच्छुक निवेशक मिडकैप फंड में निवेश कर सकते हैं। जो लोग अधिक रिस्क के साथ अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं स्माॅल कैप फंड को प्राथमिकता दें सकते हैं। हालांकि कुछ ऐसे म्यूचुअल फंड भी होते हैं जिनमें रिस्क ना के बराबर होता हैं। मगर इनका रिटर्न भी कम ही होता हैं।

निवेश की अवधि

कम अवधि के लिए निवेश को आप डेट फंड में करना चाहिए। यहां पर रिस्क कम होता हैं साथ ही साथ रिटर्न भी थोड़ा कम होता हैं। मगर छोटी अवधि यि तीन साल से कम की अवधि के लिए डेट फंड में निवेश कर सकते हैं। हालांकि जरूरी नहीं है कि आप छोटी अवधि के लिए ही डेट फंड में निवेश करें, यदि आप कम रिस्क के साथ लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तब भी आप डेट फंड में निवेश कर सकते हैं।
तीन साल से अधिक समय के निवेश करने के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड बहतर होते हैं। इक्विटी फंड में रिस्क ज्यादा होता हैं इसके साथ रिटर्न भी ज्यादा मिलता हैं। बहुत से इक्विटी म्युचुअल फंड लंबे समय में कई गुना तक रिटर्न देते हैं।

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फंड मेनेजमेंट का ट्रैक रिकॉर्ड

फंड मेनेजमेंट के हाथों में ही आपकी रकम को संभालने की जिम्मेदारी होती है। इसलिए किसी भी फंड में रकम निवेश करने से पहले फंड को संभालने वाले प्रबंधक की जानकारी आपको होनी चाहिए। पिछले कुछ वर्षों का ट्रैक रिकॉर्ड उनके बारे में पर्याप्त जानकारी दे सकता हैं। उनका अनुभव व पिछले प्रदर्शन से उनकी योग्यता को समझ सकते हैं। अच्छा म्यूचुअल का चुनाव करते समय फंड मेनेजर का पिछला रिकॉर्ड व योग्यता को ध्यान में जरूर रखना चाहिए।

फंड का पोर्टफोलियो

यदि आप बाजार की थोड़ी बहुत समझ रखते हैं तो आप फंड के पोर्टफोलियो को भी समझना चाहिए। आपके लिए जरूरी है कि आप जिस फंड में निवेश करना चाहते हैं उसके पोर्टफोलियो पर गौर करें। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपकी रकम किस जगह निवेश की जाएगी।
यदि आपको लगता हैं आने वाले समय में यह सेक्टर अच्छी ग्रोथ कर सकता हैं तो आप उस फंड को चुन सकते हैं। हालांकि इस तरह से चुनाव करने के लिए आपको बाजार का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए। जो एक सामान्य निवेशक के लिए थोड़ा मुश्किल होता हैं।

फंड का कंपेरिजन

आप जिस फंड में निवेश करना चाहते हैं उसकी तुलना उसी सेक्टर के अन्य फंड के साथ कर सकते हैं। इससे आपको फंड का पिछला रिकॉर्ड, एक्सपेंस रेश्यो, रेटिंग आदि की जानकारी मिल जाएगी। इससे आप आसानी से जान सकते हैं कि किस फंड ने कैसा परर्फोम किया हैं।

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फंड का सेक्टर

फंड किस सेक्टर से जुड़ा हुआ, यह बात हर किसी निवेशक के लिए बहुत जरूरी हैं। सेक्टराॅल/थीमेटिक फंड किसी एक सेक्टर में निवेश करते हैं। ऐसे फौड में निवेश करने से पहले यह बात पहले ही साफ होनी चाहिए कि जिस सेक्टर में फंड निवेश करता हैं उसमें आने वाले समय में ग्रोथ होने की संभावना है या नहीं।
सेक्टराॅल/थीमेटिक फंड में नये इन्वेस्टर्स को निवेश से बचना चाहिए। क्योंकि वे किसी ऐसे फंड का चुनाव कर सकते हैं जिसमें आने वाले समय में ग्रोथ की संभावना कम हों। इसलिए नये निवेशकों को फ्लैक्सी कैप में निवेश करना अच्छा विकल्प हो सकता हैं।

फंड का एक्सपेंस रेश्यो व एग्जिट लोड

फंड का संचालन करने में आने वाले खर्च को एक्सपेंस रेश्यो कहा जाता हैं। इस खर्च को निवेशकों से ही वसूला जाता हैं। एक्सपेंस रेश्यो अधिक होने पर निवेशक को अधिक रकम का भुगतान करना होता हैं जबकि कम एक्सपेंस रेश्यो होने पर कम रकम का भुगतान करना होता हैं। हालांकि एक्सपेंस रेश्यो का भुगतान डेली बेसिस पर होता हैं जो हर दिन निवेशित रकम से काट लिया जाता हैं।
निवेश की गई रकम को फंड से निकालने पर भी कुछ शुल्क का भुगतान करना होता हैं। जिसे एग्जिट लोड कहा जाता हैं। हर फंड का एग्जिट लोड अलग अलग हो सकता हैं। वहीं एग्जिट लोड एक निश्चित अवधि के लिए भी लागू हो सकता हैं। निश्चित अवधि के दौरान निवेशित रकम को रिडीम करने पर एग्जिट लोड लागू होता हैं। जबकि इसके बाद एग्जिट लोड में छूट भी दी जा सकती हैं। इसलिए म्यूचुअल फंड का चुनाव करते समय एग्जिट लोड रेश्यो का भी ध्यान रखना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: पैसावालेडाॅटइन कभी भी किसी व्यक्ति को निवेश के लिए प्रेरित नहीं करता हैं। निवेश से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।